घुटनों का दर्द और त्वचाविकार पर आराम
श्री. ज्ञानू कृष्णा कांबळे
मु. पो. घोटी खुर्द,
ता. खानापूर, जि. सांगली
( (02347) 251271
मैं शिवाम्बु भवन में दस दिन के उपचार के लिए 1 फरवरी, 2007 के दिन दाखिल हो गया था। मुझे घुटनों का दर्द दो साल से शुरु हुआ था। दो साल से मैंने उसके लिये गोलियां ंंऔर इन्जेक्शन लिये थे। पर मुझे कुछ फायदा नहीं मिला था। बहुत डॉक्टरों ने मुझे घूटनों में कॅल्शिअम की कमी होने के कारण कॅल्शिअम की दवाएँ खाने की सलाह दी। कईं डॉक्टरों ने कहा था कि घूटनों के दर्द पर कोई भी इलाज नहीं हो सकता है। मुझे घूटनों के कारण बैठने के लिए नहीं आता था।
मुझे 2002 में हृदयविकार की शिकायत भी थी। इसके लिए गोलियाँ शुरु थी। डॉक्टरों ने बताया की आपको गोलियाँ कुछ दिन तक खाने पडेगी। मैंने फिर दूसरे हॉस्पिटल मे ंजाकर मेरी तबीयत दिखाई। वहाँ डॉक्टरसाहब ने अॅन्जिओग्राफी करने को कहा और बहुत सारी दवाईयां भी लिखकर दी थी। पर मैंने कुछ नहीं किया। हृदयविकार की तो दवाईयां शुरु थी। कई दिनों के बाद मेरे ओठ भी लाल होने लगे थे और खाना खाते समय तकलिफ होने लगी थी। इसलिए मैंने एक स्पेशालिस्ट त्वचाविकार तज्ञ की सलाह लेनी चाही। तो उन्होंने बताया की ओठ को एक्झिमा हुआ है।इसलिए मैं ओठों पर नेव्हिया लिप केअर क्रीम लगाता था। यह क्रीम जर्मनी में बनती है। लेकिन इसका कोई असर नहीं पडा।
ऊपर जो मैंने बतायी हुई दवाईयां और क्रीम का मैं रोजाना इस्तेमाल करता था। इसी समय मुझे 16 जून, 2006 के दिन श्री बालकृष्ण नलावडेजी की शिवाम्बु पर लिखी हुई किताब पढने को मिली। यह किताब पढते पढते ही मेरी हृदयविकार और त्वचाविकार की घबराहट दूर हो गयी थी। ठीक उसी दिन से मैंने शिवाम्बु पान शुरु किया था। इससे मुझे पहले पहले बहुत तकलिफ हो रही थी। घरवालों के अपमानास्पद बोल खाने पडे थे। लेकिन मैंने किसी की तरफ ध्यान नहीं दिया क्योंकि आरोग्य मुझे पाना था।
मैंने शिवाम्बु पान शुरु किया था तब मेरा पेट पूरा साफ गया था। पर मैं घबराया नहीं बल्कि पूरी की पूरी शिवाम्बु मैं ले रहा था और सभी दवाईयां बंद की थी। इसका फायदा सिर्फ मुझे हो गया था। मुझे नया आरोग्य संपन्न जीवन जीने का रास्ता मिल गया था। इस रास्ते पर चलना सीखानेवाले डॉ. शशी पाटीलजी का मैं शतशः आभारी रहुँगा। ईश्वर से प्रार्थना करुँगा कि उन्होंने भविष्य में बनायी गयी आनंदकुंज की योजना जल्दी ही शुरु हो ताकि मेरे जैसे हजारों मरीज यहाँ से नया जीवन प्राप्त कर सकें।