जबान पर आई गांठ की तकलीफ में राहत मिल गई।
मैं अविनाश त्रिपाठी कानपूर से हूँ। मेरी जबान में सफेद दाग हुआ, जो बाद में गांठ के रूप में बदल गया। मैने कानपूर, लखनऊ के कई प्रसिद्ध डॉक्टरों को दिखाया। सभी ने मुझे बायोप्सी करने की सलाह दी। उनका इशारा था कि, शायद यह कैंसर की शुरूआत हो सकती हैं। लेकिन तब मेरे दिमाग में बहोत सारे अलग-अलग विचार आने लगे थे और मैं बहोत परेशान हुआ था, क्योंकि मेरे दिमाग उस वक्त यह चल रहा था कि, अगर मेरे बायोप्सी की रिपोर्ट पॉजिटीव आ गई तो? तो मुझे ऑपरेशन, रेडिएशन, ढेर सारी दवाईयाँ इस चक्कर से गुजरना पडेगा और उसके बाद कुछ ही सालो में मेरी पूरी पुंजी के साथ मैं भी खत्म हो जाऊंगा। इन विचारों से मेरी हालत और भी खराब हो गई थी। इससे छुटकारा पाने के लिए मैं हर रोज इंटरनेट पर इस मर्ज के विविध उपचारों के बारे में सर्च कर रहा था। तभी मुझे डॉ. सारंग पाटीलजी का स्वमुत्र चिकित्सा के विषय में एक लेक्चर सुनने को मिला। उसीसे मुझे इस शिवाम्बु चिकित्सा और आनंदकुंज के बारे में पता चला। तभी तुरंत मैं इसके बारे में पूरी जानकारी लेने के लिए मई 2015 में आनंदकुंज में दाखिल हो गया।
यहाँ दाखिल होते ही, यहाँ के डॉक्टरों से मेरी मुलाकात हुई और उनसे ही मेरी बीमारी पर शिवाम्बु और निसर्गोपचार के माध्यमसे कैसे इलाज होगा इसकी जानकारी मिली। उसके बाद तुरंतही मेरा इलाज शुरू हुआ। मेरे इलाज कि शुरूआत शिवाम्बु पान और शिवाम्बु उपवास से हुई। इसके साथ ही हर सुबह होने वाले योग-प्राणायाम से भी शरीर और मन तरोताजा होता रहा। इन दस दिनों में शिवाम्बु मसाज, मडबाथ, बाष्पस्नान, भुगर्भस्नान, सुर्यस्नान इन निसर्गोपचारों का भी लाभ मिला। हर शाम होने वाले सत्संग ने भी मेरे मन और उसमें उठनेवाले नकारात्मक विचारों कि दिशा बदल के उन्हें सकारात्मक बना दिया।
यहाँ इन दस दिनों में मिले हर उपचार का मुझे सच में बहोत लाभ हुआ है। यहाँ बताई हुई दिनचर्या और सुचनाओं का आगले 6 महीनों तक पालन करके मेरी यह बीमारी बिलकुल ठीक हो जायेगी, यह मुझे पूरा विश्वास है। आनंदकुंज में इलाज के साथ प्यार भी बहोत मिला। यहाँ के डॉक्टरों का अनमोल मार्गदर्शन और यहाँ के सेवाकर्मीयोंने बहोत प्यार से कि हुई सेवा तो मैं कभी भुल ही नहीं सकता।
आनंदकुंज में मिले इस विश्वास और प्यार के लिए मैं पूरे आनंदकुंज परीवार का आभारी हूँ। धन्यवाद !