कोई भी बीमारी ठिक हो सकती है, यह विश्वास पैदा हो गया।
हमें एक महिने पहलें आनंदकुंज के बारे में जानकारी मिली। मेरे बेटे के मनाने के कारण मैं 28 अक्तुबर 2014 को आनंदकुंज में दाखिल हो गई। यहाँ के नियमों के अनुसार मैंने आते ही शिवाम्बु पीकर उपवास शुरू किया।
यहाँ सुबह योग-प्राणायाम से दिन की शुरूआत होती है। उसके बाद दिनभर सुर्यस्नान, मसाज, अॅक्युप्रेशर, भुगर्भस्नान, मिट्टी का लेप इस में 10 दिन कैसे निकल गय पता ही नहीं चला। और मेरी बीमारी संधीवात, खाँसी ये दोनों भी कम हो गई। दो-तीन साल पहले यहाँ का पता मिला होता तो, और अच्छा होता। यहाँ का कुदरती वातावरण, शुद्ध हवा इससे मनुष्य के मन की शुद्धी होती है। और शाम को होने वाले सत्संग के कारण तो इन दस दिनों में स्वास्थ्य के साथ साथ जीवन के दिशा के बारे में भी बहोतसारी जानकारी मिल गयी। इसी कारण अब यह विश्वास पैदा हो गया है कि, हमारी कोई भी बीमारी हो तो वो ठीक हो सकती है।