आनंदकुंज में आरोग्य के साथ ही ज्ञान भी मिल गया।
हमारा शरीर पंचमहाभुतों से बना है, जैसे हवा, पानी, धरती, अग्नी, आकाश। इनका प्रमाण कम जादा होता है, तो हमारा शरीर अलग-अलग बीमारीयों का घर बन जाता है। पहले के जमाने में ऋुषीमुनीयों के जमाने से चली आयी, आयुर्वेदिक, आध्यात्मिक प्रक्रिया और ज्ञान इसके इस्तमाल से हम हमारी बीमारी दूर कर सकते हैं। सुर्यस्नान, भूगर्भ चिकित्सा, गोमूत्र प्राशन, योगा, सत्संग, इसके द्वारा मनुष्य को शारिरीक, मानसीक, सामाजिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य मिल सकता है। जिसके लिए मनुष्य अलग-अलग जगह भटक रहा है। उसका भटकना और उसकी पगदंडी, स्वास्थ्य के अनुसार होगी तो आत्मा से ले के परमात्मा तक उसका प्रवास सुलभ होगा। विश्वशक्ती का आदर करके, ध्यान के द्वारा, चिंतन के द्वारा, मंत्र के द्वारा हम इन सबके उपर जा सकते हैं। निसर्ग में उपलब्ध होने वाला आहार यही हमने नियमीत रूप से लिया तो हम सबसे उचा स्थान जल्दी प्राप्त कर सकते हैं। अभी किसी के भी दिमाग में एक सवाल आ सकता है कि, यह जो मैंने यहाँ लिखा हैं, यह मुझे पता है, फिर भी मैं आनंदकुंज में क्यों आया हूँ। भगवान को साक्षी रख के मैं लिखता हूँ कि, इन दस दिनों के पहले इस मेसे एक भी शब्द, थोडासा भी ज्ञान, मुझे पता नहीं था। आनंदकुंज में रहने के बाद सात दिन में ही मुझे इन सभी बातों की जानकारी मिली और उसके साथ ही मेरी बीमारी ठीक हो गई। इसीलिए मैं आनंदकुंज परीवार का आभारी हूँ।